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माघः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ماگھ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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માઘ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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माघ
Meanings: 31; in Dictionaries: 11
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ماگ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ମାଘ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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মাঘ
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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magh
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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magha
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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तपाः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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february
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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january
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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धर्मसिंधु - तानिनामानि
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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month
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
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उत्तरखण्डः - अध्यायः २४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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खण्डः ३ - अध्यायः ००९
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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lunar
Meanings: 14; in Dictionaries: 9
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०२ - भाग २०
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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उत्तरभागः - अध्यायः ६३
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १२५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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season
Meanings: 42; in Dictionaries: 12
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खण्डः १ - अध्यायः ०८३
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १२६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १२
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १२८
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १२७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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